चीन में घटी BMW की बिक्री, भारत ने दिखाया दम; 2025 की पहली छमाही में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन

साल 2025 की पहली छमाही में भले ही BMW ग्रुप ने वैश्विक स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया हो, लेकिन एशियाई बाजारों खासकर चीन में कंपनी को बड़ा झटका लगा है। चीन जैसे बड़े बाजार में कंपनी की पकड़ कमजोर हुई है, जिससे उसकी क्षेत्रीय रणनीति को पुनः सोचने की आवश्यकता महसूस हो रही है। इस विपरीत परिस्थिति में भारत BMW के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर उभरा है, जहां कार और बाइक सेगमेंट में रिकॉर्ड तोड़ बिक्री दर्ज की गई है और कंपनी ने अब तक का सबसे अच्छा छमाही प्रदर्शन किया है। चीन में 15.5% तक लुढ़की बिक्री BMW ब्रांड को एशियाई क्षेत्र में व्यापक गिरावट का सामना करना पड़ा है। साल की पहली छमाही में एशिया में कुल बिक्री में 11.1% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि दूसरी तिमाही में यह गिरावट 10.1% तक पहुंच गई। चीन में स्थिति और भी गंभीर रही, जहां दूसरी तिमाही में बिक्री में 13.7% की कमी आई और पहली छमाही में यह आंकड़ा 15.5% तक लुढ़क गया। यह केवल BMW तक सीमित नहीं रहा, मर्सिडीज-बेंज और पोर्शे जैसे अन्य प्रमुख जर्मन लक्ज़री ब्रांड्स भी चीन में इसी तरह के संकट का सामना कर रहे हैं। गिरावट के कारण और भारत में मजबूती इस गिरावट के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं—जैसे चीन की घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों की आक्रामक प्रतिस्पर्धा, उपभोक्ताओं की तेजी से बदलती प्राथमिकताएं, आर्थिक अनिश्चितता और मूल्य निर्धारण को लेकर दबाव। इन सभी के बीच भारत ने BMW को एक मजबूत बाजार के रूप में राहत दी है। यहां 2025 की पहली छमाही में BMW इंडिया ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ बिक्री प्रदर्शन किया है। कंपनी ने 7,098 कारों की बिक्री के साथ 21% की वृद्धि दर्ज की, जबकि बाइक सेगमेंट में 4,167 यूनिट्स की बिक्री करते हुए 33% की बढ़ोतरी देखी गई। इस सफलता के पीछे कंपनी के लोकप्रिय स्पोर्ट्स एक्टिविटी व्हीकल्स और इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बड़ी वजह रही है। भारत अब BMW की एशिया-पैसिफिक रणनीति में एक केंद्रीय भूमिका निभाने लगा है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग BMW ने ग्लोबल स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों के सेगमेंट में भी उल्लेखनीय उभार दर्ज किया है। साल 2025 की पहली छमाही में पूरी दुनिया में कंपनी की EV सेल्स में 15.7% की वृद्धि देखी गई है, जबकि EV और प्लग-इन हाइब्रिड (PHEV) दोनों की संयुक्त बिक्री में 18.5% की छलांग दर्ज की गई। दूसरी तिमाही में भी इस सेगमेंट में 10.2% की साल-दर-साल वृद्धि हुई। BMW की अगली पीढ़ी की इलेक्ट्रिक व्हीकल रेंज, 'Neue Klasse', साल 2025 के भीतर लॉन्च होने जा रही है, जिससे कंपनी को चीन जैसे प्रतिस्पर्धी बाजारों में दोबारा मजबूती हासिल करने का अवसर मिलेगा। ब्रांड पोर्टफोलियो ने दी मजबूती जहां मुख्य BMW ब्रांड को एशिया में चुनौतियों का सामना करना पड़ा, वहीं ग्रुप की सब-ब्रांड्स ने इस कमजोरी की भरपाई की। BMW M ब्रांड ने दूसरी तिमाही में 7.8% की वृद्धि दर्ज की, MINI ब्रांड में 33.1% की शानदार छलांग लगी, जबकि Rolls-Royce ने भी 9.4% की बढ़त हासिल की। इस दौरान BMW ग्रुप की कुल ऑटोमोटिव डिलीवरी दूसरी तिमाही में 6.21 लाख यूनिट्स रही, जबकि पहली छमाही में कंपनी ने कुल 12 लाख यूनिट्स की बिक्री दर्ज की। इस प्रकार, ग्रुप स्तर पर गिरावट मात्र 0.5% रही, जो एक संतुलित प्रदर्शन को दर्शाता है। भारत ने जहां BMW को एक नई दिशा और स्थायित्व प्रदान किया है, वहीं चीन की स्थिति अब भी कंपनी के लिए रणनीतिक चुनौती बनी हुई है। यदि BMW आने वाले समय में स्थानीय बाजारों की नब्ज के अनुरूप प्राइसिंग, इलेक्ट्रिक वाहनों की पेशकश और उत्पादन नीति को अनुकूलित करती है, तो वह न केवल चीन बल्कि अन्य उभरते बाजारों में भी अपनी स्थिति को दोबारा मज़बूती से स्थापित कर सकती है। भारत में दर्ज हो रही प्रगति इस परिवर्तन की मजबूत शुरुआत बन सकती है।
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