पराली से सड़क: किसानों के लिए आय का नया स्रोत, प्रदूषण में कमी की दिशा में बड़ा कदम

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक अभिनव पहल की शुरुआत की है, जिसके तहत पराली (कृषि अपशिष्ट) से बायो-बिटुमेन तैयार कर सड़कों का निर्माण किया जाएगा। इससे न केवल प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि किसानों के लिए आय का नया स्रोत भी खुलेगा।बायो-बिटुमेन: पराली से बनी सड़क निर्माण सामग्री
बायो-बिटुमेन, जिसे बायो-अस्फाल्ट भी कहा जाता है, पराली और अन्य कृषि अपशिष्टों से तैयार किया जाता है। यह पारंपरिक पेट्रोलियम आधारित बिटुमेन का पर्यावरणीय रूप है, जो सड़कों के निर्माण में उपयोग होता है। इसका उपयोग करने से विदेशी मुद्रा की बचत होती है और प्रदूषण में कमी आती है।
किसानों के लिए आय का नया स्रोत
इस योजना के तहत, किसान अपनी पराली को बायो-बिटुमेन बनाने वाली कंपनियों को बेच सकते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय प्राप्त होगी। प्रति टन पराली के लिए उन्हें ₹2,500 तक मिल सकते हैं, जो पहले के मुकाबले अधिक है।
प्रदूषण में कमी और सड़क की मजबूती
बायो-बिटुमेन से बनी सड़कों की मजबूती पारंपरिक सड़कों के समान होती है। इसके उपयोग से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन 70% तक कम हो सकता है, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
भविष्य की दिशा
नितिन गडकरी का कहना है कि यह पहल भारत को बायो-बिटुमेन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगी और प्रदूषण की समस्या को हल करने में मदद करेगी। इससे किसानों को भी लाभ होगा, क्योंकि वे अब केवल अन्नदाता ही नहीं, बल्कि ऊर्जा उत्पादक भी बनेंगे।
यह पहल न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि किसानों और देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है।
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