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GST घटने के बाद भी नहीं बढ़ी होंडा की बिक्री, सितंबर में 26 प्रतिशत गिरावट से कंपनी की बढ़ी चिंता

GST घटने के बाद भी नहीं बढ़ी होंडा की बिक्री, सितंबर में 26 प्रतिशत  गिरावट से कंपनी की बढ़ी चिंता

भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर जहां त्योहारों से पहले नई रफ्तार पकड़ता है, वहीं होंडा के लिए सितंबर 2025 की तस्वीर इससे उलट रही। कंपनी की मासिक बिक्री में 26% की बड़ी गिरावट सामने आई है — सिर्फ 8,096 यूनिट्स बिक पाईं, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह आंकड़ा 10,914 था। यह गिरावट तब आई है जब हाल ही में GST में कटौती के बाद कंपनियों को उम्मीद थी कि बाजार में मांग बढ़ेगी। होंडा ने भारत में सिटी और अमेज जैसी सेडान के जरिए अपना मजबूत स्थान बनाया था, लेकिन अब उपभोक्ताओं की प्राथमिकता बदल चुकी है। भारतीय खरीदार आज SUVs को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं — खासतौर पर कॉम्पैक्ट और मिडसाइज सेगमेंट में। एसयूवी न केवल ज्यादा ग्राउंड क्लीयरेंस देती हैं, बल्कि ड्राइविंग का अनुभव भी बेहतर बनाती हैं। यही वजह है कि पहली कार खरीदने वाले भी अब सेडान की बजाय SUV को पसंद कर रहे हैं। होंडा ने इस बदलते रुझान को भांपते हुए एलिवेट (Elevate) नाम की SUV बाजार में उतारी थी, लेकिन यह लॉन्च ग्राहकों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी। इसका असर सीधे बिक्री पर दिखा, क्योंकि एलिवेट न तो हुंडई क्रेटा, न किआ सेल्टोस और न ही मारुति ग्रैंड विटारा जैसी गाड़ियों को टक्कर दे पाई। दूसरी तरफ, जब ऑटो उद्योग तेजी से इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड विकल्पों की ओर बढ़ रहा है, होंडा वहां भी पिछड़ता दिख रहा है। टाटा मोटर्स ने सितंबर 2025 में EV सेगमेंट में 9,000 से ज्यादा यूनिट्स बेचकर नया रिकॉर्ड बनाया है, जबकि होंडा के पास न कोई इलेक्ट्रिक मॉडल है, न ही किफायती हाइब्रिड ऑफर। ऐसे में पारंपरिक पेट्रोल इंजन और कंफर्ट को ही प्रमुख USP बनाए रखना अब काफी नहीं लग रहा। GST 2.0 लागू होने के बाद कई कंपनियों ने कीमतों में कटौती की और खरीददारों को आकर्षित करने के लिए ऑफर्स की झड़ी लगा दी। मारुति और टाटा जैसी कंपनियों ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया। इसके उलट, होंडा अपनी गाड़ियों की कीमतों में कोई खास राहत नहीं दे पाई, जिससे उसकी बिक्री में बढ़ोतरी की संभावनाएं कमज़ोर हो गईं। एक और बड़ी चिंता की बात है — होंडा का डीलर नेटवर्क जो पहले उसकी ताकत माना जाता था, अब प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है। जहां टाटा, मारुति और कोरियन कंपनियां आक्रामक ऑफर्स, आसान फाइनेंसिंग और एक्सचेंज स्कीम्स चला रही हैं, होंडा अब भी एक रूढ़िवादी रुख अपनाए हुए है। नतीजतन, कस्टमर्स के लिए इसके ऑफर्स कम आकर्षक नजर आते हैं। कुल मिलाकर, होंडा के लिए सितंबर 2025 का महीना सिर्फ एक खराब आंकड़ा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है — अगर रणनीति में बदलाव नहीं हुआ, तो आने वाले महीनों में हालात और बिगड़ सकते हैं।

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