मारुति ला रही 8 नई एसयूवी, 70,000 करोड़ रुपये की योजना, मल्टी-फ्यूल टेक्नोलॉजी से बदलेगा ऑटो सेक्टर का भविष्य
भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर में सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी ने एक ऐतिहासिक घोषणा की है। कंपनी ने अगले पांच से छह वर्षों के लिए 70,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है, जिसके तहत 8 नई एसयूवी लॉन्च की जाएंगी और मल्टी-फ्यूल (अनेकों ईंधन विकल्पों वाली) रणनीति पर काम किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य न केवल भारत में 50% मार्केट शेयर दोबारा हासिल करना है, बल्कि कार्बन न्यूट्रैलिटी की दिशा में ठोस कदम उठाना भी है। 70,000 करोड़ रुपये का निवेश और 8 नई एसयूवी मारुति सुजुकी के इस पांच वर्षीय रोडमैप के तहत कंपनी अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को और विस्तृत करने जा रही है। 2030–31 तक कंपनी भारत में कुल 28 मॉडल पेश करेगी, जिनमें से 8 बिल्कुल नई एसयूवी होंगी। कंपनी का लक्ष्य अपनी वार्षिक उत्पादन क्षमता को 40 लाख यूनिट तक बढ़ाना है ताकि वह घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों की मांग पूरी कर सके। भारत बनेगा सुजुकी का वैश्विक उत्पादन और निर्यात केंद्र मारुति सुजुकी ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत अब सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन के लिए सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक केंद्र बन चुका है। वित्त वर्ष 2024-25 में ही कंपनी ने 3.3 लाख से अधिक वाहनों का निर्यात किया, जो पांच साल पहले की तुलना में तीन गुना वृद्धि दर्शाता है। अब मारुति यूरोप और जापान जैसे नए बाजारों में भी अपने वाहन भेज रही है और अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में निर्यात का आंकड़ा 4 लाख यूनिट तक पहुंच जाएगा। मल्टी-फ्यूल रणनीति: सिर्फ इलेक्ट्रिक नहीं, कई रास्तों से कार्बन न्यूट्रैलिटी मारुति सुजुकी केवल बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (BEV) पर निर्भर नहीं रहना चाहती। कंपनी ने अपने भविष्य के लिए “मल्टी-पाथवे” यानी बहु-ऊर्जा दृष्टिकोण अपनाया है, जिसके तहत वह विभिन्न फ्यूल टेक्नोलॉजी पर एक साथ काम करेगी। कंपनी की आने वाली गाड़ियां इन विकल्पों पर आधारित होंगी— —बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (BEVs) —स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड्स —फ्लेक्स-फ्यूल —सीएनजी —हाइड्रोजन —बायोगैस मारुति का मानना है कि भारत जैसे विशाल और विविध ऊर्जा बाजार में केवल एक तकनीक पर निर्भर रहना व्यावहारिक नहीं है। इसीलिए, इन सभी विकल्पों के संतुलित मिश्रण से ही देश में सस्ती और स्वच्छ मोबिलिटी संभव होगी। पावरट्रेन मिक्स में बड़ा बदलाव मारुति सुजुकी के अनुसार, वित्त वर्ष 2031 तक उसके पावरट्रेन पोर्टफोलियो में 35% हिस्सेदारी CNG और बायोगैस वाहनों की होगी। जबकि आंतरिक दहन (Internal Combustion Engine) और हाइब्रिड वाहनों का योगदान 25%–25% रहेगा। इस तरह कंपनी का लक्ष्य पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता घटाना और स्वच्छ ऊर्जा को अधिक अपनाना है। नवीकरणीय ऊर्जा में भी बड़ा कदम मारुति सुजुकी अब केवल कार निर्माण तक सीमित नहीं रहना चाहती। कंपनी ने गुजरात में 2027 तक 9 कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट स्थापित करने का ऐलान किया है। इस परियोजना में अमूल, बनास डेयरी और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) जैसी प्रमुख संस्थाओं के साथ साझेदारी की जा रही है। इन प्लांट्स से प्राप्त बायोगैस का उपयोग वाहनों के साथ-साथ औद्योगिक और घरेलू जरूरतों के लिए भी किया जा सकेगा। इलेक्ट्रिक वाहनों का नया ग्लोबल हब बनेगा भारत मारुति सुजुकी भारत को अपने वैश्विक इलेक्ट्रिक व्हीकल रोलआउट का लॉन्चपैड बना रही है। यानी आने वाले समय में कंपनी के कई ईवी मॉडल भारत में पहले लॉन्च होंगे और यहीं से अन्य देशों में निर्यात भी किए जाएंगे। इस रणनीति के तहत भारत न केवल उत्पादन केंद्र बनेगा, बल्कि अनुसंधान, विकास और परीक्षण का भी प्रमुख आधार होगा। बिक्री का नया लक्ष्य और बाजार पर प्रभाव कंपनी का उद्देश्य भारत में अपनी पुरानी पहचान को फिर से हासिल करना है—यानी 50% मार्केट शेयर पर फिर से कब्जा। इसके लिए मारुति सुजुकी न केवल नई तकनीक और नए मॉडल पेश करेगी, बल्कि ग्राहकों को विविध ईंधन विकल्पों और सस्ती कीमतों के साथ ज्यादा विकल्प देने की दिशा में काम करेगी। कंपनी का विश्वास है कि यह रणनीति आने वाले वर्षों में भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर की दिशा और दशा दोनों बदल देगी। मारुति सुजुकी का यह 70,000 करोड़ रुपये का निवेश भारत के ऑटो उद्योग में अब तक की सबसे बड़ी घोषणाओं में से एक है। 8 नई एसयूवी, बायोगैस और फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों की योजनाएं, और नवीकरणीय ऊर्जा में कदम—ये सब मिलकर भारत को न केवल “मेक इन इंडिया” का केंद्र बनाएंगे, बल्कि दुनिया को कार्बन न्यूट्रल परिवहन का एक सशक्त उदाहरण भी देंगे। मारुति की यह नई रणनीति साबित करती है कि भविष्य का रास्ता केवल इलेक्ट्रिक कारों का नहीं, बल्कि ऊर्जा के हर संभव रूप का संतुलित उपयोग है।
Related Articles
फ्रोंक्स खरीदने से पहले ठहरिए! अब सिर्फ 15 प्रतिशत पेट्रोल पर दौड़ने वाला E85 फ्लेक्स फ्यूल मॉडल आ रहा
































